इतिहास
भारत का ऐसा प्रधानमंत्री जो अपने अंतिम समय में सड़क पर सोने को मजबूर हुए।

भारत देश में जो एक बार ग्राम प्रधान भी बन जाता है उसकी पुश्तों का भी जीवन सुधर जाता है।

बाकी विधायक, मंत्री या अन्य किसी पद पर बैठे लोगों के पास कितना पैसा होगा आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

ये सब अपने पद का दुरुपयोग करके करोड़ों रुपए कमा लेते हैं।

लेकिन अगर आपसे कहा जाए की भारत का एक प्रधानमंत्री ऐसा भी हुआ था जो अपने अंतिम दिनों में किराए के मकान में रहने को मजबूर था और किराए के पैसे ना देने के कारण मकान मालिक ने उसे घर से निकाल दिया था और वो रोड पर आ गए थे तो ये सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा।

लेकीन ऐसा हुआ था। आईए जानते हैं की कौन था ऐसा प्रधानमंत्री

गुलजारी लाल नंदा दो बार प्रधानमंत्री बनें

जी हां, गुलजारी लाल नंदा, नेहरू जी के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बनें थे। फिर इसके बाद वो लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के उपरांत फिर देश के प्रधानमन्त्री बने थे।

हालांकी दोनों बार गुलजारी लाल नंदा जी का कार्यकाल बहुत ही कम दिनों का था।

गुलजारी लाल नंदा एक बहुत ही सज्जन और गांधीवादी व्यक्ति थे।

उनके पास कोई भी निजी संपत्ति नहीं थी और उन्होंने 500 रुपए मिलने वाली पेंशन को भी लेने से मना कर दिया था।

उन्होंने कहा था की वो देश सेवा पैसे के लिए नहीं कर रहे। जीवन के आखिरी दिनों में उनको बहुत ही गरीबी का सामना करना पड़ा था।

मकान मालिक ने घर से बाहर निकाल दिया

जब गुलजारी लाल नंदा 94 वर्ष के थे तो वो एक गुमनाम जिंदगी व्यतीत कर रहे थे।

उनके पास पैसे नहीं थे तो उनके मकान मालिक ने किराया ना देने की वजह से उनको मकान से निकाल दिया था।

मकान मालिक ने उनका पुराना बिस्तर, खाने का बर्तन, प्लास्टिक की बाल्टी और मग उठा कर रोड पर फेंक दिया था।

इसके अलावा उनके पास कोई सामान नहीं निकला था। उन्होंने मकान मालिक से कुछ दिन का समय मांगा था लेकिन उसने देने से मना कर दिया था।

पड़ोसियों ने भी कोई दया नहीं दिखाई की एक बूढ़ा घर के बाहर पड़ा है।

उसी समय वहां से एक पत्रकार महोदय गुजर रहे थे उन्होंने यह देखा तो सोचा की यह एक बेहतरीन खबर होगी उनके समाचार पत्र के लिए।

उन्होंने अपनी कहानी की हेडिंग भी सोच ली थी की “क्रूर मकान मालिक ने, बूढ़े किराएदार को घर से बाहर फेंका “

पत्रकार ने कुछ फोटो ली और जाकर प्रेस मालिक को दिखाया।

फोटो देखने के बाद प्रेस मालिक हैरान रह गया उसने पत्रकार से पूछा की “क्या तुम उस बूढ़े व्यक्ती को जानते हो” तो पत्रकार ने कहा नहीं!

अगले दिन न्यूज पेपर में पहले पन्ने पर बड़ी बड़ी हैडिंग के साथ लिखा था की ” भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री गुलजारी लाल नंदा एक दयनीय जीवन व्यतीत कर रहें हैं।

उस न्यूज पेपर ने वह पूरी घटना लिख डाली। खबर छपने के अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को उस जगह भेज दिया।

मकान मालिक इतनी सारी सरकारी गाड़ियां देख कर डर गया।

जब उसे पता चला की उसका किरायेदार गुलजारी लाल नंदा जी हैं तो वह वह रोते हुए उनके पैरों पर गिर गया।

अधिकारियों ने उन्हें सरकारी आवास और सुविधाएं लेने का अनुरोध किया।

गुलजारी लाल नंदा ने यह कहकर मना कर दिया की बुढ़ापे में इन सारी सुविधाओं का वो क्या करेंगे। अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक वो एक सामान्य नागरिक बन कर रहे।

सन् 1997 में अटल बिहारी वाजपेई जी और एच डी देवगौड़ा जी के प्रयासों के कारण उनको भारत रत्न का सम्मान मिला।

15 जनवरी 1998 को 99 वर्ष की आयु में गुलजारी लाल नंदा जी की मृत्यु हो गई। धन्य है ऐसे लोग जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।